sandha mandir vrindavan

सांढ़ा मंदिर, वृंदावन
वृंदावन के ज्ञान गुदड़ी में स्थित सांढ़ा मंदिर, सांढ़ा (मोतीपुर, मुजफ्फरपुर, बिहार) के शाही परिवार के द्वारा निर्मित अनेक मंदिरों में से एक है। मंदिर के बाहर एक ताम्रपत्र आलेख है।
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शाही परिवार के मंदिर
शाही परिवार के श्री लक्ष्मीधर प्रताप नारायण शाही अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनके परिवार के सदस्यों ने अनेक मंदिरों की स्थापना की थी।
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Vrindavan, Uttar Pradesh

08:30 AM - 08:30 PM

Darshan Time

1897

Established

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सांढ़ा मंदिर, वृंदावन

उत्तरप्रदेश राज्य के मथुरा शहर में स्थित वृंदावन नगर भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है। यहां पर आपको श्री कृष्ण और राधा रानी के कई सुंदर और मशहूर मंदिर देखने को मिल जाएंगे। कृष्ण भक्तों के लिए वृंदावन का अपना ही एक अलग महत्व है। यहाँ एक प्राचीन मंदिर है; सांढ़ा मंदिर।

सांढ़ा मंदिर, वृंदावन

यह मंदिर अत्यंत उच्चकोटि के स्थापत्य, प्राचीन वास्तु व दुर्लभ मूर्ति संयोजन का अद्वितीय स्थान हैं। मंदिर के गर्भगृह मे श्री कृष्ण जी की प्रतिमा स्थापित है। इसके अतिरिक्त इस मंदिर में कृष्ण जी की सबसे प्रिय सखी ललिता जी और विशाखा जी की भी मूर्तियां विराजमान हैं।
पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार श्री राधा जी की आठ सखियाँ थीं; ललिता, विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चंपकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या और सुदेवी।
दुर्लभ मूर्तियों का यह संयोग इस मदिर को विशिष्ट बनाता है। श्री कृष्ण जी, ललिता जी और विशाखा जी की मूर्तियों के अतिरिक्त यहाँ अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं।

सांढ़ा मंदिर, वृंदावन

temple 6

सांढ़ा मंदिर अपनी उत्कृष्ट स्थापत्य से दर्शनाभिलाशी भक्तों को आकर्षित करता है। यह मंदिर लाल बलुआ पत्थर की संरचना है। मंदिर के प्रवेश द्वार को राजस्थानी शैली की वास्तुकला से बनाया गया है। इसके साथ ही इस मंदिर को खूबसूरती के साथ नक्काशीदार खंभे और चित्रित छत से सजाया गया है।

मंदिर के गर्भगृह के ऊपर शिखर है, और चारों ओर बरामदा है। प्रवेश द्वार के सामने भक्तों को बैठने के लिये एक मंडप बना हुआ है, जो देखने से राजस्थानी स्थापत्य शैली के बहुत नजदीक है। 

निर्माण के सौ से अधिक साल बीत जाने के बाद भी मंदिर का सौंदर्य अद्भुत है।

वृंदावन के ज्ञान गुदड़ी में स्थित सांढ़ा मंदिर, सांढ़ा (मोतीपुर, मुजफ्फरपुर, बिहार) के शाही परिवार के द्वारा निर्मित अनेक मंदिरों में से एक है। मंदिर के बाहर एक ताम्रपत्र आलेख है। मंदिर के विषय में सभी जानकारी इस आलेख पर उत्कीर्ण है।

1897 में जब इस मंदिर का निर्माण पूरा हुआ, तो मंदिर के विषय में सभी जानकारी ताम्रपत्र आलेख के रूप में मंदिर के मुख्य दरवाजे के समीप लगा दिया गया। इस मंदिर के गेट के ऊपर आज भी सांढ़ा मंदिर अंकित है। मंदिर के गर्भगृह के ऊपर शिखर है, और चारों ओर बरामदा है। प्रवेश द्वार के सामने भक्तों को बैठने के लिये एक मंडप बना हुआ है, जो देखने से राजस्थानी स्थापत्य शैली के बहुत नजदीक है।निर्माण के सौ से अधिक साल बीत जाने के बाद भी मंदिर का सौंदर्य अद्भुत है।

इस मंदिर निर्माण श्री लक्ष्मीधर प्रताप नारायण शाही, निवासी – सांढ़ा, मोतीपुर, जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार के द्वारा किया गया था। कहते हैं कि श्री लक्ष्मीधर प्रताप नारायण शाही की माता जी का सपना था कि वृंदावन में श्री कृष्ण जी का एक मंदिर बनवाना चाहिए। जिसे वर्ष 1897 में श्री लक्ष्मीधर प्रताप नारायण शाही द्वारा बनवा कर पूर्ण किया गया।

temple 5
temple 17

शाही परिवार के श्री लक्ष्मीधर प्रताप नारायण शाही अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनके परिवार के सदस्यों ने अनेक मंदिरों की स्थापना की थी। बिहार के सांढ़ा और चकना में भी इस परिवार की ओर से स्थापित मंदिर हैं।

शाही परिवार के द्वारा स्थापित मंदिरों में से एक, सांढ़ा मंदिर, वृन्दावन का एक अलग महत्व है।

आज भी इस मंदिर में नित्या पूजा अर्चना की जाती है और श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।

दैनिक संध्या पूजन के लिए मंदिर में पुजारी की व्यवस्था है। मंदिर का प्रबंधन शाही परिवार के वर्तमान पीढ़ी के लोग करते है। शाही परिवार के सदस्य भी समय – समय पर मंदिर में दर्शन पूजा के लिए आते रहते हैं।

सांढ़ा मंदिर, वृंदावन

मंदिर की व्यवस्था

यद्यपि मंदिर की व्यवस्था श्रद्धालुओं से मिले दान पर ही टिकी हुई है। परंतु शाही परिवार के लोग भी भगवान को भोग लगाने एवं मंदिर के रखरखाव के खर्च में सहयोग करते हैं। अन्य ब्यावस्था व्यवस्थापक पुजारी करते हैं। शाही परिवार की ओर से मंदिर के प्रबंधन की दिशा में सहयोग किया जाता है। हाल ही में शाही परिवार ने स्वयं पहल कर मंदिर के बरामदे का जीर्णोद्धार करवाया है।

मंदिर का रख रखाव

बताया जाता है कि पूर्व में यहां पुष्पवाटिका थी। पुष्पवाटिका में चंपा, चमेली, गुलाब सहित तरह-तरह के पुष्प खिले रहते थे। मंदिर में पूजा के फूल इसी पुष्पवाटिका से आते थे। वाटिका में कुछ फूल आज भी उपलब्ध हैं। मंदिर परिसर में एक कुंआ भी है।

सांढ़ा मंदिर, वृंदावन

सांढ़ा मंदिर वृंदावन के ज्ञान गुदड़ी में स्थित है। वृंदावन का यह क्षेत्र उद्धव गोपी संवाद का स्थल है, जहां ज्ञान पर प्रेम की जीत हुई थी। इसी कारण इस पौराणिक स्थाल को ज्ञान गुदड़ी कहते हैं। निश्चय ही इस क्षेत्र का एक अपना आद्यत्मिक महत्व है।

मंदिर पवित्रता और शांति के केंद्र होते हैं। मंदिरों में समय बिताना आपकी आत्मा को शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान कर सकता है।

यदि आप श्री कृष्ण जी, ललिता जी और विशाखा जी के प्रेम के इस मंदिर में जाते हैं, तो आप निश्चित रूप से शांति और आनंद का अनुभव करेंगे।

सांढ़ा मंदिर, वृंदावन

वृंदावन के मंदिरों की यात्रा

वृंदावन के मंदिरों में प्रतिदिन होने वाली आरती और भगवद गीता की कथाओं से यहाँ आने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। वृंदावन के ज्ञान गुदड़ी स्थित सांढ़ा मंदिर में आप रोजाना सुबह 8:30 से दोपहर के 12 बजे के बीच जा सकते हैं या फिर शाम के 4:30 बजे से रात के 8:30 बजे के बीच भी जा सकते हैं। वैसे यहाँ यात्रा करने का सबसे अच्छा समय जन्माष्टमी के उत्सव के समय होता है।

मथुरा और वृंदावन कैसे पहुंचे?

मथुरा और वृंदावन सभी प्रमुख भारतीय शहरों से हवाई मार्ग से आसानी से जुड़े हुए हैं और निकटतम हवाई अड्डा लगभग 65 किमी दूर आगरा में स्थित है। मथुरा एक रेलवे जंक्शन है यह उत्तरी भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ती है। यदि आप रोडवेज के माध्यम से यात्रा करने का निर्णय लेते हैं, तो आप यूपीएसआरटीसी की बस सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।

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तो अगली बार ...

आप जब भी वृंदावन आएं, सांढ़ा मंदिर, वृंदावन अवश्य आएं!